विधि विज्ञान प्रयोगशाला का सुदृढ़ीकरण

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पुलिस की विवेचना की गुणवत्ता बढ़ाने तथा इस कार्य में वैज्ञानिक साक्ष्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार द्वारा विधि विज्ञान प्रयोगशाला का सुदृढ़ीकरण एवं उसका जनपद स्तर तक विस्तार किया जा रहा है। अपराधियों को उनके किये गये अपराधो की सजा दिलाने में वैज्ञानिक प्रमाण अकाट्य होने के कारण महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है।

वर्तमान युग में अपराधियों द्वारा अपराध करने में नयी-नयी आधुनिकतम तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है तथा उनके प्रयास होते है कि वारदात के मौके पर ऐसा कोई भी सबूत पुलिस को न मिले, जिससे अपराधी के बारे में उसे पता चल सके | ऐसी स्थिति में गम्भीर अपराधों की विवेचना में पुलिस को अत्यधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी तो उसे परिस्थिति की संवेदनशीलता के अनुसार जनाक्रोश भी झेलना पड़ता है। इन विकट परिस्थितियों में पुलिस को वैज्ञानिक तरीकों से घटना स्थल से एकत्र किये गये वैज्ञानिक साक्ष्यों से निश्चित रूप से जहां एक ओर अपराधियों तक पहुंचने में सफलता मिलती है वहीं अपराधियों को चिन्हित कर उसे सजा दिलाने में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान होता है।

प्रदेश की वर्तमान सरकार द्वारा साक्ष्यों के त्वरित एवं सुरक्षित ढंग से एकत्र किये जाने की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुये आधुनिकीकरण योजना में इस कार्य को विशेष महत्व प्रदान किया गया है। विधि विज्ञान प्रयोगशाला के उपयोग में आने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरणों से युक्त 8 विशेष प्रकार के वाहन तैयार किये गये है और उन्हें मोबाइल फोरेंसिक वैन का स्वरूप देते हुये प्रदेश के सभी आठो जोन क्रमशः लखनऊ, आगरा, कानपुर, गोरखपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, मेरठ एवं बरेली जोन के जनपद मुरादाबाद को उपलब्ध कराया गया है। इन सभी फोरेंसिक वैन में अत्याधुनिक तकनीक युक्त फोरेंसिक किट एवं उसको संचालित करने हेतु विशेषज्ञों की सेवाएं उपलब्ध करायी गयी है। फोरंेसिक मोबाइल वैन में रक्त, वीर्य, विस्फोटक, नारकोटिक्स, आग्नेयास्त्र, माइक्रोकैमिकल आदि के प्रारम्भिक परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है।

इस योजना का विस्तार दूसरे चरण में प्रदेश के बाकी बचे 67 जनपदों में किया जायेगा तथा जनपद की आवश्यकता के अनुरूप उन्हें भी फोरेंसिक मोबाइल वैन उपलब्ध कराये जाने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा गम्भीरता से प्रयास शुरू कर दिये गये है। इन मोबाइल फोरेंसिक वैन में बाॅयलोजी, सिरोलाॅजी, रसायन, विस्फोटक, नारकोटिक, आग्नेयास्त्र इत्यादि से सम्बन्धित प्रारम्भिक परीक्षणों की सुविधा उपलब्ध है। वर्तमान समय में प्रदेश की राजधानी लखनऊ सहित आगरा एवं वाराणसी में विधि विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित है। लखनऊ की विधि विज्ञान प्रयोगशाला सबसे बड़ी है जहां पर आग्नेयास्त्र, बायोलाजी, सीरोलाजी, रसायन, हस्तलेख, भौतिकी, विष विज्ञान, उपकरणीय, डीएनए, लाई डिटेक्शन, कम्प्यूटर फोरेन्सिक मेडिकोलीगल एवं नारकोएनालिसिस जैसे 13 अनुभाग स्थापित है। विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा में आग्नेयास्त्र, बायोलाजी, सीरोलाजी, रसायन, हस्तलेख, भौतिकी, विष विज्ञान, उपकरणीय एवं विस्फोटक 9 अनुभाग स्थापित है जबकि वाराणसी में क्रमशः बायोलाजी, सीरोलाजी, रसायन, हस्तलेख एवं भौतिकी 5 अनुभाग है।

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लखनऊ प्रयोगशाला में कुछ विशेष इकाईयां जैसे डीएनए इकाई, फोरेंसिक एकास्टिक्स अनुभाग, ब्रेन मैपिंग अनुभाग, नारको एनालिसिस अनुभाग भी स्थापित है। डीएनए इकाई में डीएनए फिंगर प्रिंटिंग अत्याधुनिक तकनीक से किया जाता है जिसकी सहायता से हत्या, बलात्कार एवं अन्य आपराधिक मामलों में सही अपराधियों तक पहुंचने, किसी बच्चे के बायोलोजिकल माता-पिता की पहचान, शरीर के अवशेषों से व्यक्ति विशेष की पहचान सम्भव हो पाती है। फॅारेन्सिक एकास्टिक्स अनुभाग में संदिग्ध व्यक्तियों की रिकार्ड की गयी आवाज पर (सी0डी0, कैसेट, टेलीफोन टेप, सेलफोन) की पहचान कर मिलान किया जाता है। उक्त के अतिरिक्त संदिग्ध सी0डी0 में फोटो एवं आवाज की पहचान पिच (Pitch) प्रचुरता (।Amplitude) एवं फ्रीक्वेंसी (Frequency) के आधार पर की जाती है।

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ब्रेन मैपिंग अनुभाग में संदिग्ध व्यक्तियों से इंट्रोगेशन द्वारा अपराध से संबंधित वास्तविक साक्ष्यों का पता लगाया जाता है। इसमें संदिग्ध व्यक्ति के सर पर हेड बैंड सेंसर लगाकर कम्प्यूटर से किसी संदिग्ध व्यक्ति से अपराध के संबंध में सवाल पूछने पर यदि वह अपराध के संबंध में कोई जानकारी (शब्द, फोटो, वस्तु आदि) रखता है तो वह उसके मस्तिष्क की ब्रेन वेव के माध्यम से कम्प्यूटर द्वारा पता कर लिया जाता है। नारको एनालिसिस अनुभाग में संदिग्ध व्यक्तियों को चिकित्सीय प्रक्रिया के दौरान सेमी कांसस कन्डीशन में पूछताछ की जाती है जिससे कि उनका यदि उस घटना में लिप्तता/घटना से सम्बन्धित जानकारी की सत्यता का संदिग्ध व्यक्ति के मस्तिष्क से उसकी जानकारी के बिना बयान कर दिया जाता है। जिसे रिकार्ड कर साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

इस प्रकार वर्तमान में आगरा, लखनऊ एवं वाराणसी में स्थापित प्रयोगशालाओं के अलावा मुरादाबाद में नयी प्रयोगशाला निर्माणाधीन है। इसके अलावा चरणबद्ध तरीके से प्रदेश के मण्डल मुख्यालयों पर विधि विज्ञान प्रयोगशालाये स्थापित किये जाने की राज्य सरकार की योजना है। इस कड़ी में कानपुर जोन के लिये जनपद कन्नौज में तथा मेरठ जोन के लिए गाजियाबाद में ए श्रेणी की विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं शीघ्र ही स्थापित की जाएंगी। झांसी ,गोरखपुर, इलाहाबाद व आजमगढ़ में बी श्रेणी की तथा फैजाबाद, देवीपाटन, बस्ती, चित्रकूट, मिर्जापुर, बरेली, सहारनपुर व अलीगढ़ में सी श्रेणी की विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं स्थापित किये जाने का लक्ष्य है ।

ए श्रेणी की लैब में 17 हजार वर्ग मीटर, बी श्रेणी की लैब में 10 हजार वर्ग मीटर तथा सी श्रेेणी की लैब में 8 हजार वर्ग मीटर निर्मित क्षेत्र होगा। ए श्रेणी की प्रयोगशाला हेतु टोक्सीलाॅजी, कैमिस्ट्री, डोक्युमेन्ट, सीरोलॅाजी, बायोलाॅजी, भौतिकी, बैलिस्टिक, क्राइम सीन मैनेजमेन्ट, मेडिकोलीगल, कम्प्यूटर फोरेन्सिक, फोटो सेक्शन, विस्फोटक, डीएनए, फोरेन्सिक ओक्योस्टिक, लाई डिटेक्शन, फोरेंसिक इंजीनियरिंग की व्यवस्था होगी

बी श्रेणी की प्रयोगशाला हेतु टोक्सीलाॅजी, कैमिस्ट्री, डॉक्यूमेंट, सीरोलॅाजी, बायोलाॅजी, भौतिकी, बैलिस्टिक, क्राइम सीन मैनेजमेन्ट, मेडिकोलीगल, कम्प्यूटर फोरेन्सिक, फोटो सेक्शन की व्यवस्था प्रस्तावित है ।

सी श्रेणी की प्रयोगशाला हेतु कैमिस्ट्री, डॉक्यूमेंट , सीरोलॅाजी, बायोलाॅजी, भौतिकी, बैलिस्टिक, क्राइम सीन मैनेजमेन्ट की व्यवस्था होगी।

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