महिला उत्पीड़न से संबंधित घटनाओं में प्रभावी कार्यवाही हेतु
महिला उत्पीड़न से संबंधित समस्त घटनाओं मे प्रभावी कार्यवाही हेतु प्रदेश सरकार द्वारा ‘‘महिला सम्मान प्रकोष्ठ’’ का गठन किया गया है, जिसका प्रभारी, वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारी को बनाया गया है। यह प्रकोष्ठ महानगर लखनऊ में खोला गया है।
श्रीमती सुतापा सान्याल, पुलिस महानिदेशक, मानवाधिकार के निर्देशन में यह प्रकोष्ठ सक्रिय है। प्रकोष्ठ द्वारा महिलाओं की सभी शिकायतों, सूचनाओं आदि के पंजीकरण, पंजीकृत अभियोगो एवं जिले में हुई संगीन घटनाओं में की जा रही विवेचनात्मक कार्यवाहियों आदि का सतत अनुश्रवण कर प्रभावी एवं समयबद्ध कार्यवाही शुरु की गई है।
महिला सम्मान प्रकोष्ठ को भा0द0वि0 के अन्तर्गत महिलाओं के विरुद्ध घटित अपराध की धाराओं, प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल आॅफेन्सेस एक्ट (पाक्सो) , जूवेनाइल जस्टिस एक्ट, प्रिवेंशन आफ इमौरल एक्ट ट्रैफिकिंग एक्ट, सेक्सुअल हेरासमेन्ट एट वर्क प्लेस एक्ट, प्रोटेक्शन आफ वूमेन फ्राम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, डाॅवरी प्रोहिबीशन एक्ट के अन्तर्गत प्रदेश में रेलवे सहित घटित अपराधों का अनुश्रवण एवं प्रगति आंकलन किया जा रहा है।
दहेज मृत्यु, बलात्कार, अपहृत महिला एवं बच्चों के एस0आर0केसेज के अनुश्रवण एवं प्रगति का प्रभावी आंकलन भी इस प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी होगी। पुलिस विभाग की वेबसाइट पर महिला उत्पीड़न सम्बन्धी शिकायतों को अभिलिखित करते हुए प्रभावी निस्तारण की कार्यवाही इस प्रकोष्ठ द्वारा सुनिश्चित की जा रही है ।
अन्य विभागों यथा- महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा एवं स्वास्थ्य आदि विभागों द्वारा महिलाओं के उत्थान हेतु चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के सफल एवं प्रभावी क्रियान्वयन हेतु पुलिस विभाग द्वारा अपेक्षित समन्वय भी इस प्रकोष्ठ द्वारा किया जायेगा। इसके द्वारा जनपद स्तर पर चिकित्सीय, न्यायिक, मनोवैज्ञानिक परामर्शी सेवाएं उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में भी पुलिस विभाग की ओर से समन्वय व सहयोग सुनिश्चित कराने के दायित्व का निर्वहन किया जा रहा है ।
प्रत्येक जनपद में स्थापित वैवाहिक विवादों में मध्यस्थता हेतु उपलब्ध करायी जा रही सेवाओं के अनुश्रवण का कार्य भी महिला प्रकोष्ठ द्वारा किया जायेगा। महिलाओं पर एसिड अटैक सम्बन्धी सभी घटनाओं मे प्रभावी विधिक कार्यवाही तथा पीडि़त महिलाओं को मुआवजा सुनिश्चित कराने हेतु एवं महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में किसी भी योजनान्तर्गत मुआवजा की धनराशि दिलाने के लिए नोडल एजेंसी के रुप में भी यह सेल कार्य कर रहा है।
महिलाओं के लिये अधिनियमों के अनुश्रवण एवं प्रगति का प्रभावी आंकलन महिला प्रकोष्ठ के द्वारा किया जायेगा। इसके अलावा प्रमुख सचिव, गृह अथवा पुलिस महानिदेशक द्वारा सौंपे गये किर्सी भी कार्य व दायित्व का निर्वहन भी इस प्रकांेष्ठ द्वारा किया जा रहा है।
सी0बी0सी0आई0डी0 में सेक्टर स्तर पर स्थापित पुलिस महिला सहायता प्रकोष्ठ के विवेचनाओं का प्रशासनिक पर्यवेक्षण व अनुश्रवण, ह्यूमन ट्रैफिकिंग के विरुद्ध कार्ययोजना बनाने एवं इसे रोकने हेतु की जा रही कार्यवहियों का अनुश्रवण एवं आंकलन करने संबंध दायित्व भी इस प्रकोष्ठ को राज्य सरकार द्वारा सौंपा गया है। प्रदेश में स्थापित सभी एण्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (Anti Human Trafficking Units, AHTUs) का पर्यवेक्षण इस नवगठित प्रकोष्ठ द्वारा किया जाएगा एवं इस सम्बन्ध में यह प्रदेश की नोडल एजेन्सी के रूप में कार्य कर रहा है।
पुलिस कार्मिकों का समय-समय पर जेन्डर सेन्सेटाइजेसन (Gender Sensitization) एवं महिला उत्पीड़न सम्बन्धी अधिनियमों की ट्रेनिंग स्वयं एवं ट्रेनिंग निदेशालय के सहयोग से सम्पादित कराने का दायित्व भी इसे सौंपा गया है। महिलाओं के विरुद्ध घटित होने वाले अपराधों का डेटाबेस (उदाहरणार्थ: DNA Databank for missing people) का सृजन, अनुरक्षण एवं यथा आवश्कयता अन्य राज्यों की पुलिस तथा उ0प्र0 की विभिन्न पुलिस ईकाइयों के साथ सूचनाओं का आदान प्रदान करना भी इसकी ज़िम्मेदारी है ।
इस प्रकोष्ठ द्वारा पुलिस, सम्बन्धित सरकारी विभागों एवं सिविल सोसाइटी में महिला सम्बन्धी विषयों पर परस्पर सहयोग बढ़ाने का कार्य एवं शासन को महिला सम्बन्धी नीतियों पर फीडबैक दिये जाने के दायित्व का भी निर्वहन किया जा रहा है (उदाहरणार्थ महिलाओं के लिए देहातों में शौचालयों का निर्माण, कन्या भ्रूण हत्या रोकने सम्बन्धी सुझाव)।
इसके अलावा शासन के निर्देश पर प्रत्येक जिले में महिला हेल्पलाइन भी प्रारम्भ की गई है जिसकी माॅनीटरिंग वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक द्वारा की जा रही है। महिलाओं द्वारा इस हेल्पलाइन पर की गई किसी भी प्रकार के उत्पीड़न की शिकायत करने पर उसकी जांच महिला प्रकोष्ठ के माध्यम से सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए है।
महिलाओं के मोबाइल फोन पर अश्लील एस0एम0एस0, एम0एम0एस0 एवं अवांछनीय फोन काल किये जाते है, जिनकी रोकथाम हेतु एण्टी आब्सीन काल सेल का गठन किया गया हैं। लड़कियों एवं महिलाओं पर तेजाब फेंककर उन्हें गम्भीररूप से घायल करने की घटनाओं को सख्ती से नियंत्रित करने तथा दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही के निर्देेश दिए गये है।
प्रदेश के सभी पुलिस प्रभारियों को निर्देशित किया गया है कि विशेष अपराध के साथ महिला संबंधी संगीन अपराधों (Heinous Offences) की डाटा फीडिग समयबद्ध रूप से हीनियस क्राइम मानीटरिंग सिस्टम में करायेंगे। महिलाओं के विरूद्ध इन गंभीर अपराधों के संबंध मे डाटा इन्ट्री का कार्य शीघ्रतिशीघ्र करते हुए कृत कार्यवाही प्राथमिकता पर अपलोड करते हुए प्रभावी अनुश्रवण किया जा रहा है ।
मा0 उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के क्रम में धारा 498(ए) भा0द0वि0 व 3/4 दहेज अथिनियम के मामलों में अथवा इसी प्रकार के अन्य संबंधित प्रकरणों में निर्देश दिये गये हैं कि प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित किये जाने के पश्चात जनपदीय महिला थाना ऐसी सभी प्रकरणों को 7 से 10 दिन के अन्दर सिविल कोर्ट परिसर में स्थापित मध्यस्थता केन्द्र को संदर्भित करेंगे। महिला थानाध्यक्ष उभय पक्षों को नोटिस के माध्यम से उक्त केन्द्र पर बुलाकर उभय पक्षों के बीच मध्यस्थता कराने का प्रयास करेंगे। मध्यस्थता न हो पाने की स्थिति में विधिक प्राविधानों के अन्तर्गत अग्रेतर कार्यवाही की जायेगी।
महिलाओं के विरूद्ध घटित हिंसा की घटनाओं की रोकथाम के परिप्रेक्ष्य में दण्ड विधि (संशोधन ) अधिनियम-2013 विशेष रूप से लागू किया गया है। प्रत्येक पुलिस थाने में एक महिला पुलिस अधिकारी/पुलिस कर्मी यथासंभव हमेशा उपलब्ध रहेगी। महिला पुलिस कर्मी की जिम्मेदारी होगी कि वह पीडि़त महिला व उसके परिवार को सान्त्वना व ढ़ांढ़स देकर आश्वस्त करें। महिला सम्बन्धी अपराधों में न्यायालय में प्रभावी पैरवी करके अपराधियों को दण्डित कराने के निर्देश दिये गये है।